हिंदी दिवस कब से मनाया जाता है और उसका उद्देश्य क्या है औऱ हिंदी दिवस किसके द्वारा मनाया जाता है
हिंदी दिवस कब से मनाया जाता है और उसका उद्देश्य क्या है औऱ हिंदी दिवस किसके द्वारा मनाया जाता है
हिन्दी दिवस प्रत्येक वर्ष 14 सितम्बर को मनाया जाता है। 14 सितम्बर 1949 को संविधान सभा ने यह निर्णय लिया कि हिन्दी भी केन्द्र सरकार की आधिकारिक भाषा होगी। क्योंकि भारत मे अधिकतर क्षेत्रों में ज्यादातर हिन्दी भाषा बोली जाती थी इसलिए हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाने का निर्णय लिया और इसी निर्णय के महत्व को प्रतिपादित करने तथा हिन्दी को प्रत्येक क्षेत्र में प्रसारित करने के लिये वर्ष 1953 से पूरे भारत में 14 सितम्बर को प्रतिवर्ष हिन्दी-दिवस के रूप में मनाया जाता है। स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद हिन्दी को आधिकारिक भाषा के रूप में स्थापित करवाने के लिए काका कालेलकर, हजारीप्रसाद द्विवेदी, सेठ गोविन्ददास आदि साहित्यकारों को साथ लेकर व्यौहार राजेन्द्र सिंह ने अथक प्रयास किये।
वर्ष 1918 में गांधी जी ने हिन्दी साहित्य सम्मेलन में हिन्दी भाषा को राष्ट्रभाषा बनाने को कहा था। इसे गांधी जी ने जनमानस की भाषा भी कहा था। वर्ष 1949 में स्वतंत्र भारत की राष्ट्रभाषा के प्रश्न पर 14 सितम्बर 1949 को काफी विचार-विमर्श के बाद यह निर्णय लिया गया जो भारतीय संविधान के भाग 17 के अध्याय की अनुच्छेद 343(1) में इस प्रकार वर्णित है। संघ की राष्ट्रभाषा हिन्दी और लिपि देवनागरी होगी। संघ के राजकीय प्रयोजनों के लिए प्रयोग होने वाले अंकों का रूप अन्तरराष्ट्रीय रूप होगा।
पहला हिन्दी दिवस कब मनाया गया
पहला आधिकारिक हिन्दी दिवस 14 सितंबर 1953 में मनाया गया था। भारत में करीब 54.5 करोड़ लोग हिंदी बोलते हैं जिनमें से करीब 42.5 करोड़ उसे अपनी पहली भाषा मानते हैं। देश के 77 प्रतिशत लोग हिंदी लिखते, पढ़ते, बोलते और समझते हैं।
हिन्दी दिवस पर कार्यक्रम
हिन्दी दिवस के दौरान कई कार्यक्रम होते हैं। इस दिन कई स्थानों पर बच्चों में भाषा के प्रति रुचि विकसित करने हेतु तरह-तरह की प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है। इस दिन छात्र-छात्राओं को हिन्दी के प्रति सम्मान तथा दैनिक व्यवहार में हिन्दी के उपयोग करने आदि की शिक्षा दी जाती है।
हिन्दी भारत की 22 भाषाओं में से एक
हिन्दी भारत की 22 भाषाओं में से एक है। अधिकतर भारतीय हिन्दी को बोलते और समझते हैं। उत्तर भारत के राज्यों राजस्थान, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश में हिन्दी बोली और समझी जाती है। हिन्दी भाषा मॉरिशस, फिजी, सुरीनाम, त्रिनिदाद और टोबेगो में भी बोली जाती है।
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हिंदी दिवस |
हिन्दी दिवस के बारे में
हिन्दी दिवस प्रत्येक साल 14 सितंबर को मनाया जाता है संविधान सभा द्वारा 14 सितंबर 1949 को एक मत से निर्णय लिया गया कि हिन्दी ही भारत की राजभाषा होगी। इसी अहम निर्णय के महत्व को प्रतिपादित करने हेतु तथा हिन्दी को प्रत्येक क्षेत्र में प्रसारित करने के उद्देश्य से साल 1953 से संपूर्ण भारत में 14 सितंबर को प्रत्येक साल हिन्दी-दिवस के रूप में मनाया जाता है।
हिन्दी प्रमुख भाषाओं में से एक
हिन्दी विश्व में बोली जाने वाली प्रमुख भाषाओं में से एक है। विश्व की प्राचीन, समृद्ध तथा सरल भाषा होने के साथ-साथ हिन्दी हमारी 'राष्ट्रभाषा' भी है। हिन्दी विश्वभर में हमें सम्मान भी दिलाती है। हिन्दी ने हमें विश्व में एक नई पहचान भी दिलाई है। हिन्दी भाषा विश्व में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली तीसरी भाषा है।
हिन्दी भाषा के लिए संवैधानिक प्रावधान
संविधान के अनुच्छेद 351 के अंतर्गत हिन्दी को अभिव्यक्ति के सभी माध्यमों के रूप में विकसित तथा प्रचारित करने का उत्तरदायित्व केंद्र सरकार का है। भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में अधिकारिक भाषा के अलावा 22 अन्य भाषाएं शामिल हैं।
हिन्दी दिवस पर पुरस्कार समारोह
हिन्दी के प्रति लोगों को उत्साहित करने के लिए हिन्दी दिवस पर पुरस्कार समारोह भी आयोजित किया जाता है। राष्ट्रपति द्वारा चयनित व्यक्तियों को राजभाषा कीर्ति पुरस्कार और राजभाषा गौरव पुरस्कार प्रदान किया जाता है। यह पुरस्कार उन व्यक्तियों को दिया जाता है जिसने अपने कार्य के दौरान अच्छी हिन्दी का उपयोग किया हो।
राजभाषा कीर्ति पुरस्कार: इस पुरस्कार योजना के तहत कुल 39 पुरस्कार दिये जाते हैं। यह पुरस्कार किसी समिति, विभाग, मण्डल आदि को उसके द्वारा हिन्दी में किए गए श्रेष्ठ कार्यों के लिए दिया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य सरकारी कार्यों में हिन्दी भाषा का उपयोग करने से है।
राजभाषा गौरव पुरस्कार: यह पुरस्कार तकनीकी या विज्ञान के विषय पर लिखने वाले किसी भी भारतीय नागरिक को दिया जाता है। इसमें दस हजार से लेकर दो लाख रुपये के 13 पुरस्कार होते हैं। इसमें पहला (प्रथम) पुरस्कार प्राप्त करने वाले को 2,00,000 तथा दूसरा (द्वितीय) पुरस्कार प्राप्त करने वाले को 1,50,000 और तीसरा (तृतीय) पुरस्कार प्राप्त करने वाले को 75,000 रुपये मिलता है।
भारत की राजभाषा के रूप में हिन्दी
संविधान सभा ने लम्बी चर्चा के बाद 14 सितम्बर सन् 1949 को हिन्दी को भारत की राजभाषा स्वीकारा गया। इसके बाद संविधान में अनुच्छेद 343 से 351 तक राजभाषा के सम्बन्ध में व्यवस्था की गयी। इसकी स्मृति को ताजा रखने के लिये 14 सितम्बर का दिन प्रतिवर्ष हिन्दी दिवस के रूप में मनाया जाता है। ध्यातव्य है कि भारतीय संविधान में राष्ट्रभाषा का उल्लेख नहीं है।
संविधान की धारा 343(1) के अनुसार भारतीय संघ की राजभाषा हिन्दी एवं लिपि देवनागरी है। संघ के राजकीय प्रयोजनों के लिये प्रयुक्त अंकों का रूप भारतीय अंकों का अंतरराष्ट्रीय स्वरूप (अर्थात 1, 2, 3 आदि) है। किन्तु इसके साथ संविधान में यह भी व्यवस्था की गई कि संघ के कार्यकारी, न्यायिक और वैधानिक प्रयोजनों के लिए 1965 तक अंग्रेजी का प्रयोग जारी रहे। तथापि यह प्रावधान किया गया था कि उक्त अवधि के दौरान भी राष्ट्रपति कतिपय विशिष्ट प्रयोजनों के लिए हिन्दी के प्रयोग का प्राधिकार दे सकते हैं।
संसद का कार्य हिन्दी में या अंग्रेजी में किया जा सकता है। परन्तु राज्यसभा के सभापति या लोकसभा के अध्यक्ष विशेष परिस्थिति में सदन के किसी सदस्य को अपनी मातृभाषा में सदन को सम्बोधित करने की अनुमति दे सकते हैं (संविधान का अनुच्छेद 120)। किन प्रयोजनों के लिए केवल हिन्दी का प्रयोग किया जाना है, किन के लिए हिन्दी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं का प्रयोग आवश्यक है, और किन कार्यों के लिए अंग्रेजी भाषा का प्रयोग किया जाना है, यह राजभाषा अधिनियम 1963, राजभाषा नियम 1976 और उनके अन्तर्गत समय समय पर राजभाषा विभाग, गृह मन्त्रालय की ओर से जारी किए गए निर्देशों द्वारा निर्धारित किया गया है।
हिन्दी को राजभाषा के रूप में स्वीकार किये जाने का औचित्य
यद्यपि भारत एक बहुभाषायी देश था किन्तु बहुत लम्बे काल से हिन्दी या उसका कोई स्वरूप इसके बहुत बड़े भाग पर सम्पर्क भाषा के रूप में प्रयुक्त होता था। भक्तिकाल में उत्तर से दक्षिण तक, पूरब से पश्चिम तक अनेक सन्तों ने हिन्दी में अपनी रचनाएँ कीं। स्वतंत्रता आन्दोलन में हिन्दी पत्रकारिता ने महान भूमिका अदा की। राजा राममोहन राय, स्वामी दयानन्द सरस्वती, महात्मा गांधी, सुभाष चन्द्र बोस, सुब्रह्मण्य भारती आदि अनेकानेक लोगों ने हिन्दी को राष्ट्रभाषा के पद पर प्रतिष्ठित करने का सपना देखा था।
महात्मा गांधी ने 1917 में भरूच में गुजरात शैक्षिक सम्मेलन में अपने अध्यक्षीय भाषण में राष्ट्रभाषा की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा था कि भारतीय भाषाओं में केवल हिंदी ही एक ऐसी भाषा है जिसे राष्ट्रभाषा के रूप में अपनाया जा सकता है क्योंकि यह अधिकांश भारतीयों द्वारा बोली जाती है; यह समस्त भारत में आर्थिक, धार्मिक और राजनीतिक सम्पर्क माध्यम के रूंप में प्रयोग के लिए सक्षम है तथा इसे सारे देश के लिए सीखना आवश्यक है।
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने ‘राजभाषा’ के निम्नलिखित लक्षण बताए थे-
(1) प्रयोग करने वालों के लिए वह भाषा सरल होनी चाहिए।
(2) उस भाषा के द्वारा भारतवर्ष का आपसी धार्मिक, आर्थिक और राजनीतिक व्यवहार हो सकना चाहिए।
(3) यह जरूरी है कि भारतवर्ष के बहुत से लोग उस भाषा को बोलते हों।
(4) राष्ट्र के लिए वह भाषा आसान होनी चाहिए।
(5) उस भाषा का विचार करते समय किसी क्षणिक या अल्प स्थायी स्थिति पर जोर नहीं देना चाहिए।
भारत के सन्दर्भ में इन लक्षणों पर हिन्दी भाषा बिल्कुल खरी उतरती है।
अनुच्छेद 343 संघ की राजभाषा
(1) संघ की राजभाषा हिन्दी और लिपि देवनागरी होगी, संघ के शासकीय प्रयोजनों के लिए प्रयोग होने वाले अंकों का रूप भारतीय अंकों का अंतर्राष्ट्रीय रूप होगा।
(2) खण्ड (1) में किसी बात के होते हुए भी इस संविधान के प्रारम्भ से पंद्रह वर्ष की अवधि तक संघ के उन सभी शासकीय प्रयोजनों के लिए अंग्रेजी भाषा का प्रयोग किया जाता रहेगा जिनके लिए उसका ऐसे प्रारम्भ से ठीक पहले प्रयोग किया जा रहा था परन्तु राष्ट्रपति उक्त अवधि के दौरान आदेश द्वारा संघ के शासकीय प्रयोजनों में से किसी के लिए अंग्रेजी भाषा के अतिरिक्त हिंदी भाषा का और भारतीय अंकों के अंतर्राष्ट्रीय रूप के अतिरिक्त देवनागरी रूप का प्रयोग प्राधिकृत कर सकेगा।
(3) इस अनुच्छेद में किसी बात के होते हुए भी संसद उक्त पन्द्रह वर्ष की अवधि के पश्चात् विधि द्वारा
(क) अंग्रेजी भाषा का या
(ख) अंकों के देवनागरी रूप का
ऐसे प्रयोजनों के लिए प्रयोग उपबंधित कर सकेगी जो ऐसी विधि में विनिर्दिष्ट किए जाएं।
अनुच्छेद 351 हिंदी भाषा के विकास के लिए निर्देश
संघ का यह कर्तव्य होगा कि वह हिंदी भाषा का प्रसार बढ़ाए उसका विकास करे जिससे वह भारत की सामासिक संस्कृति के सभी तत्वों की अभिव्यक्ति का माध्यम बन सके और उसकी प्रकृति में हस्तक्षेप किए बिना हिंदुस्तानी में और आठवीं अनुसूची में विनिर्दिष्ट भारत की अन्य भाषाओं में प्रयुक्त रूप, शैली और पदों को आत्मसात करते हुए और जहां आवश्यक या वांछनीय हो वहां उसके शब्द-भंडार के लिए मुख्यतः संस्कृत से और गौणतः अन्य भाषाओं से शब्द ग्रहण करते हुए उसकी समृद्धि सुनिश्चित करे।
राजभाषा अधिनियम
1963 में राजभाषा अधिनियम अधिनियमित किया गया। अधिनियम में यह व्यवस्था भी थी कि केन्द्रीय सरकार द्वारा राज्यों से पत्राचार में अंग्रेजी के प्रयोग को उसी स्थिति में समाप्त किया जाएगा जबकि सभी अहिंदी भाषी राज्यों के विधान मण्डल इसकी समाप्ति के लिए संकल्प पारित कर दें और उन संकल्पों पर विचार करके संसद के दोनों सदन उसी प्रकार के संकल्प पारित करें। अधिनियम में यह भी व्यवस्था थी कि अन्तराल की अवधि में कुछ विशिष्ट प्रयोजनों के लिए केवल हिंदी का प्रयोग किया जाए और कुछ अन्य प्रयोजनों के लिए अंग्रेजी और हिंदी दोनों का प्रयोग किया जाए।
सन् 1976 में राजभाषा नियम बनाए गए। इसमें भी 1987, 2007 तथा 2011 में कुछ संशोधन किए गए।
भारतीय संसद के दोनों सदनों (राज्यसभा और लोकसभा) ने 1968 में 'राजभाषा संकल्प' के नाम से निम्नलिखित संकल्प लिया।
राजभाषा संकल्प 1968
1. जबकि संविधान के अनुच्छेद 343 के अनुसार संघ की राजभाषा हिंदी रहेगी और उसके अनुच्छेद 351 के अनुसार हिंदी भाषा का प्रसार, वृद्धि करना और उसका विकास करना ताकि वह भारत की सामासिक संस्कृति के सब तत्वों की अभिव्यक्ति का माध्यम हो सके, संघ का कर्तव्य है :
1. यह सभा संकल्प करती है कि हिंदी के प्रसार एंव विकास की गति बढ़ाने के हेतु तथा संघ के विभिन्न राजकीय प्रयोजनों के लिए उत्तरोत्तर इसके प्रयोग हेतु भारत सरकार द्वारा एक अधिक गहन एवं व्यापक कार्यक्रम तैयार किया जाएगा और उसे कार्यान्वित किया जाएगा और किए जाने वाले उपायों एवं की जाने वाली प्रगति की विस्तृत वार्षिक मूल्यांकन रिपोर्ट संसद की दोनों सभाओं के पटल पर रखी जाएगी और सब राज्य सरकारों को भेजी जाएगी।
2. जबकि संविधान की आठवीं अनुसूची में हिंदी के अतिरिक्त भारत की 22 मुख्य भाषाओं का उल्लेख किया गया है और देश की शैक्षणिक एवं सांस्कृतिक उन्नति के लिए यह आवश्यक है कि इन भाषाओं के पूर्ण विकास हेतु सामूहिक उपाए किए जाने चाहिए। यह सभा संकल्प करती है कि हिंदी के साथ-साथ इन सब भाषाओं के समन्वित विकास हेतु भारत सरकार द्वारा राज्य सरकारों के सहयोग से एक कार्यक्रम तैयार किया जाएगा और उसे कार्यान्वित किया जाएगा ताकि वे शीघ्र समृद्ध हो और आधुनिक ज्ञान के संचार का प्रभावी माध्यम बनें।
3. जबकि एकता की भावना के संवर्धन तथा देश के विभिन्न भागों में जनता में संचार की सुविधा हेतु यह आवश्यक है कि भारत सरकार द्वारा राज्य सरकारों के परामर्श से तैयार किए गए त्रि-भाषा सूत्र को सभी राज्यों में पूर्णत कार्यान्वित करने के लिए प्रभावी किया जाना चाहिए। यह सभा संकल्प करती है कि हिंदी भाषी क्षेत्रों में हिंदी तथा अंग्रेजी के अतिरिक्त एक आधुनिक भारतीय भाषा के, दक्षिण भारत की भाषाओं में से किसी एक को तरजीह देते हुए, और अहिंदी भाषी क्षेत्रों में प्रादेशिक भाषाओं एवं अंग्रेजी के साथ साथ हिंदी के अध्ययन के लिए उस सूत्र के अनुसार प्रबन्ध किया जाना चाहिए।
4. और जबकि यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि संघ की लोक सेवाओं के विषय में देश के विभिन्न भागों के लोगों के न्यायोचित दावों और हितों का पूर्ण परित्राण किया जाए। यह सभा संकल्प करती है कि
(क) उन विशेष सेवाओं अथवा पदों को छोड़कर जिनके लिए ऐसी किसी सेवा अथवा पद के कर्त्तव्यों के संतोषजनक निष्पादन हेतु केवल अंग्रेजी अथवा केवल हिंदी अथवा दोनों जैसी कि स्थिति हो, का उच्च स्तर का ज्ञान आवश्यक समझा जाए, संघ सेवाओं अथवा पदों के लिए भर्ती करने हेतु उम्मीदवारों के चयन के समय हिंदी अथवा अंग्रेजी में से किसी एक का ज्ञान अनिवार्यत होगा
(ख) कि परीक्षाओं की भावी योजना, प्रक्रिया संबंधी पहलुओं एवं समय के विषय में संघ लोक सेवा आयोग के विचार जानने के पश्चात अखिल भारतीय एवं उच्चतर केन्द्रीय सेवाओं संबंधी परीक्षाओं के लिए संविधान की आठवीं अनुसूची में सम्मिलित सभी भाषाओं तथा अंग्रेजी को वैकल्पिक माध्यम के रूप में रखने की अनुमति होगी।
केन्द्रीय हिन्दी सलाहकार समिति
केन्द्रीय सरकार के एक निर्णय के अनुसार राजभाषा नीति का कार्यान्वयन सुनिश्चित करने और इस सम्बन्ध में आवश्यक सलाह देने के लिए जनता के साथ अधिक सम्पर्क में आने वाले मंत्रालयों/ विभागों में हिन्दी सलाहकार समितियाँ गठित करने का सुधाव दिया गया था। इस निर्णय के अनुसार अब तक 27 मंत्रालयों में हिन्दी सलाहकार समितियों का गठन किया गया है। इन समितियों में संसद सदस्यों तथा हिन्दी विद्वानों के अतिरिक्त मंत्रालय विशेष के वरिष्ठ अधिकारी शामिल होते हैं। सम्बन्धित मन्त्री इसके अध्यक्ष होते हैं।
इन समितियों का गठन केन्द्रीय हिन्दी समिति (जिसके अध्यक्ष प्रधानमंत्री होते हैं) की सिफारिश के आधार पर बनाए गए मार्गदर्शी सिद्धान्तों के अनुसार किया जाना अपेक्षित होता है। ये समितियाँ अपने-अपने मंत्रालयों/विभागों/उपक्रमों में हिन्दी की प्रगति की समीक्षा करती हैं, विभाग में हिन्दी के प्रयोग को बढ़ाने के तरीके सोचती हैं और राजभाषा नीति के अनुपालन के लिए ठोस कदम उठाती हैं। नियमानुसार इनकी बैठकें 3 महीने में एक बार अवश्य होनी चाहिए।
संसदीय राजभाषा समिति
यह समिति सभी मंत्रालयों/विभागों की कार्यान्वयन समितियों में समन्वय का कार्य करती है। राजभाषा विभाग के सचिव तथा भारत सरकार के हिन्दी सलाहकार इसके अध्यक्ष होते हैं। मंत्रालयों/विभागों में राजभाषा हिंदी का कार्य देख रहे प्रभारी अधिकारी (संयुक्त सचिव पद के समान) तथा मंत्रालयों में राजभाषा का कार्य सम्पादन करने वाले निदेशक तथा उपसचिव इसके पदेन सदस्य होते हैं। यह समिति, राजभाषा अधिनियमों के उपबंधों तथा गृह मंत्रालय द्वारा समय-समय पर जारी किये गये अनुदेशों के कार्यान्वयन में हुई प्रगति का पुनरीक्षण करती है और उनके अनुपालन में आयी कठिनाइयों के निराकरण के उपायों पर विचार करती है। इस समिति की बैठक का आयोजन प्रतिवर्ष किया जाता है।
नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति
यह राजभाषा विभाग द्वारा निर्मित समिति होती है जो नगर स्तर पर राजभाषा कार्यान्वय सम्बन्धी कार्य देखती है। सन् 1976 के एक आदेश के अनुसार इनका गठन किया गया। बड़े-बड़े नगरों में जहाँ केन्द्रीय सरकार के दस या उससे अधिक कार्यालय हैं, वहाँ नगर राजभाषा कार्यान्वयन समितियों (नराकास) का गठन किया गया। समिति का गठन राजभाषा विभाग के क्षेत्रीय कार्यान्वयन कार्यालयों से प्राप्त प्रस्तावों के आधार पर भारत सरकार के राजभाषा सचिव द्वारा किया जाता है।
इसकी बैठकें वर्ष में दो बार होती हैं। इनकी अध्यक्षता नगर के वरिष्ठतम अधिकारी करते हैं। इन समितियों में नगर में स्थित सभी केन्द्रीय सरकारी कार्यालयों, उपक्रमों तथा बैंकों के प्रतिनिधि भाग लेते हैं। वे अपने-अपने कार्यालयों की तिमाही प्रगति रिपोर्ट की समीक्षा करते हैं और हिन्दी के इस्तेमाल को बढ़ाने के लिए सुझाव देते हैं। प्रारम्भ में ऐसे नगरों की संख्या सीमित थी जो अब बढ़ती जा रही है। हिन्दी के प्रयोग को बढ़ाने में इन बैठकों से विशेष लाभ हुआ है। इस समय (सन 2020 में) पूरे भारत में 500 से अधिक नगर राजभाषा कार्यान्वयन समितियाँ कार्य कर रहीं हैं।
सन् 1979 के आदेश द्वारा इसके कार्यों में विस्तार कर निम्नलिखित कर्त्तव्य निश्चित किये गये थे:
1. राजभाषा अधिनियम/नियम और सरकारी कामकाज में हिन्दी का प्रयोग बढ़ाने के सम्बन्ध में भारत सरकार द्वारा जारी किए गये आदेशों और हिन्दी के प्रयोग से सम्बन्धित वार्षिक कार्यक्रम के कार्यान्वयन की स्थिति की समीक्षा।
2. नगर के केन्द्रीय सरकार के कार्यालयों में हिन्दी का प्रयोग बढ़ाने के सम्बन्ध में किये जाने वाले उपायों पर विचार, हिन्दी के सन्दर्भ सहित्य, टाइपराइटरों, टाइपिस्टों, आशुलिपिकों आदि की उपलब्धि की समीक्षा, हिन्दी, हिन्दी टाइपिंग तथा हिन्दी आशुलिपि के प्रशिक्षण से सम्बन्धित समस्याओं पर विचार।
हिन्दी दिवस का इतिहास
यह निर्णय 14 सितम्बर को लिया गया, इसी दिन हिन्दी के मूर्धन्य साहित्यकार व्यौहार राजेन्द्र सिंहा का 50वाँ जन्मदिन था, इस कारण हिन्दी दिवस के लिए इस दिन को श्रेष्ठ माना गया था। हालांकि जब राष्ट्रभाषा के रूप में इसे चुना गया और लागू किया गया तो अ-हिन्दी भाषी राज्य के लोग इसका विरोध करने लगे और अंग्रेजी को भी राजभाषा का दर्जा देना पड़ा। इस कारण हिन्दी में भी अंग्रेजी भाषा का प्रभाव पड़ने लगा।
हिन्दी दिवस पर होने वाले कई कार्यक्रम
हिन्दी दिवस के दौरान कई कार्यक्रम होते हैं। इस दिन छात्र-छात्राओं को हिन्दी के प्रति सम्मान और दैनिक व्यवहार में हिन्दी के उपयोग करने आदि की शिक्षा दी जाती है। जिसमें हिन्दी निबन्ध लेखन, वाद-विवाद हिन्दी टंकण प्रतियोगिता आदि होता है। हिन्दी दिवस पर हिन्दी के प्रति लोगों को प्रेरित करने हेतु भाषा सम्मान की शुरुआत की गई है। यह सम्मान प्रतिवर्ष देश के ऐसे व्यक्तित्व को दिया जाएगा जिसने जन-जन में हिन्दी भाषा के प्रयोग एवं उत्थान के लिए विशेष योगदान दिया है। इसके लिए सम्मान स्वरूप एक लाख एक हजार रुपये दिये जाते हैं। हिन्दी में निबन्ध लेखन प्रतियोगिता के द्वारा कई जगह पर हिन्दी भाषा के विकास और विस्तार हेतु कई सुझाव भी प्राप्त किए जाते हैं। लेकिन अगले दिन सभी हिन्दी भाषा को भूल जाते हैं। हिन्दी भाषा को कुछ और दिन याद रखें इस कारण राष्ट्रभाषा सप्ताह का भी आयोजन होता है। जिससे यह कम से कम वर्ष में एक सप्ताह के लिए तो रहती ही है।
हिन्दी निबन्ध लेखन
वाद-विवाद
विचार गोष्ठी
काव्य गोष्ठी
श्रुतलेखन प्रतियोगिता
हिन्दी टंकण प्रतियोगिता
कवि सम्मेलन
पुरस्कार समारोह
राजभाषा सप्ताह
बोलने वालों की संख्या के अनुसार अंग्रेजी और चीनी भाषा के बाद हिन्दी भाषा पूरे दुनिया में तीसरी सबसे बड़ी भाषा है। लेकिन उसे अच्छी तरह से समझने, पढ़ने और लिखने वालों में यह संख्या बहुत ही कम है। यह और भी कम होती जा रही। इसके साथ ही हिन्दी भाषा पर अंग्रेजी के शब्दों का भी बहुत अधिक प्रभाव हुआ है और कई शब्द प्रचलन से हट गए और अंग्रेजी के शब्द ने उसकी जगह ले ली है। जिससे भविष्य में भाषा के विलुप्त होने की भी संभावना अधिक बढ़ गयी है।
विश्व मे हिंदी भाषा
इस कारण ऐसे लोग जो हिन्दी का ज्ञान रखते हैं या हिन्दी भाषा जानते हैं, उन्हें हिन्दी के प्रति अपने कर्तव्य का बोध करवाने के लिए इस दिन को हिन्दी दिवस के रूप में मनाया जाता है जिससे वे सभी अपने कर्तव्य का पालन कर हिन्दी भाषा को भविष्य में विलुप्त होने से बचा सकें। लेकिन लोग और सरकार दोनों ही इसके लिए उदासीन दिखती है। हिन्दी तो अपने घर में ही दासी के रूप में रहती है। हिन्दी को आज तक संयुक्त राष्ट्र संघ की भाषा नहीं बनाया जा सका है। इसे विडम्बना ही कहेंगे कि योग को 177 देशों का समर्थन मिला, लेकिन हिन्दी के लिए 129 देशों का समर्थन क्या नहीं जुटाया जा सकता ? इसके ऐसे हालात आ गए हैं कि हिन्दी दिवस के दिन भी कई लोगों को ट्विटर पर हिन्दी में बोलो जैसे शब्दों का उपयोग करना पड़ रहा है। अमर उजाला ने भी लोगों से विनती की कि कम से कम हिन्दी दिवस के दिन हिन्दी में ट्वीट करें।
हिंदी भाषा का महत्व
इसका मुख्य उद्देश्य वर्ष में एक दिन इस बात से लोगों को रूबरू कराना है कि जब तक वे हिन्दी का उपयोग पूरी तरह से नहीं करेंगे तब तक हिन्दी भाषा का विकास नहीं हो सकता है। इस एक दिन सभी सरकारी कार्यालयों में अंग्रेजी के स्थान पर हिन्दी का उपयोग करने की सलाह दी जाती है। इसके अलावा जो वर्ष भर हिन्दी में अच्छे विकास कार्य करता है और अपने कार्य में हिन्दी का अच्छी तरह से उपयोग करता है, उसे पुरस्कार द्वारा सम्मानित किया जाता है।
कई लोग अपने सामान्य बोलचाल में भी अंग्रेज़ी भाषा के शब्दों का या अंग्रेजी का उपयोग करते हैं, जिससे धीरे धीरे हिन्दी के अस्तित्व को खतरा पहुँच रहा है। जिस तरह से टेलीविजन से लेकर विद्यालयों तक और सोशल मीडिया से लेकर निजी तकनीकी संस्थानों एवं निजी दफ्तरों तक में अंग्रेजी का दबदबा कायम है । उससे लगता है कि अपनी मातृभाषा हिन्दी धीरे–धीरे कम और फिर दशकों बाद विलुप्त ना हो जाये। यदि शीघ्र ही हम छोटे–छोटे प्रयासों द्वारा अपनी मातृभाषा हिन्दी को अपने जीवन में एक अनिवार्य स्थान नहीं देंगे तो यह दूसरी भाषाओं से हो रही स्पर्धा में बहुत पीछे रह जायेगी । यहाँ तक कि वाराणसी में स्थित दुनिया में सबसे बड़ी हिन्दी संस्था आज बहुत ही खस्ता हाल में है। इस कारण इस दिन उन सभी से निवेदन किया जाता है कि वे अपने बोलचाल की भाषा में भी हिन्दी का ही उपयोग करें। इसके अलावा लोगों को अपने विचार आदि को हिन्दी में लिखने भी कहा जाता है। चूँकि हिन्दी भाषा में लिखने हेतु बहुत कम उपकरण के बारे में ही लोगों को पता है, इस कारण इस दिन हिन्दी भाषा में लिखने, जाँच करने और शब्दकोश के बारे में जानकारी दी जाती है। हिन्दी भाषा के विकास के लिए कुछ लोगों के द्वारा कार्य करने से कोई खास लाभ नहीं होगा। इसके लिए सभी को एक जुट होकर हिन्दी के विकास को नए आयाम तक पहुँचाना होगा। हिन्दी भाषा के विकास और विलुप्त होने से बचाने के लिए यह अनिवार्य है।
हिंदी भाषा सप्ताह
हिन्दी सप्ताह 14 सितम्बर से एक सप्ताह के लिए मनाया जाता है। इस पूरे सप्ताह अलग अलग प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है। यह आयोजन विद्यालय और कार्यालय दोनों में किया जाता है। इसका मूल उद्देश्य हिन्दी भाषा के लिए विकास की भावना को लोगों में केवल हिन्दी दिवस तक ही सीमित न कर उसे और अधिक बढ़ाना है। इन सात दिनों में लोगों को निबन्ध लेखन, आदि के द्वारा हिन्दी भाषा के विकास और उसके उपयोग के लाभ और न उपयोग करने पर हानि के बारे में समझाया जाता है।
हिंदी दिवस में दिए जाने वाले पुरुस्कार
हिन्दी दिवस पर हिन्दी के प्रति लोगों को उत्साहित करने हेतु पुरस्कार समारोह भी आयोजित किया जाता है। जिसमें कार्य के दौरान अच्छी हिन्दी का उपयोग करने वाले को यह पुरस्कार दिया जाता है। यह पहले राजनेताओं के नाम पर था, जिसे बाद में बदल कर राष्ट्रभाषा कीर्ति पुरस्कार और राष्ट्रभाषा गौरव पुरस्कार कर दिया गया। राष्ट्रभाषा गौरव पुरस्कार लोगों को दिया जाता है जबकि राष्ट्रभाषा कीर्ति पुरस्कार किसी विभाग, समिति आदि को दिया जाता है।
राजभाषा गौरव पुरस्कार
यह पुरस्कार तकनीकी या विज्ञान के विषय पर लिखने वाले किसी भी भारतीय नागरिक को दिया जाता है। इसमें दस हजार से लेकर दो लाख रुपये के 13 पुरस्कार होते हैं। इसमें प्रथम पुरस्कार प्राप्त करने वाले को २ लाख रूपए, द्वितीय पुरस्कार प्राप्त करने वाले को डेढ़ लाख रूपए और तृतीय पुरस्कार प्राप्त करने वाले को पचहत्तर हजार रुपये मिलता है। साथ ही दस लोगों को प्रोत्साहन पुरस्कार के रूप में दस-दस हजार रूपए प्रदान किए जाते हैं। पुरस्कार प्राप्त सभी लोगों को स्मृति चिह्न भी दिया जाता है। इसका मूल उद्देश्य तकनीकी और विज्ञान के क्षेत्र में हिन्दी भाषा को आगे बढ़ाना है।
राजभाषा कीर्ति पुरस्कार
इस पुरस्कार योजना के तहत कुल ३९ पुरस्कार दिये जाते हैं। यह पुरस्कार किसी समिति, विभाग, मण्डल आदि को उसके द्वारा हिन्दी में किए गए श्रेष्ठ कार्यों के लिए दिया जाता है। इसका मूल उद्देश्य सरकारी कार्यों में हिन्दी भाषा का उपयोग करने से है।
विश्व हिन्दी दिवस (विश्व हिंदी दिवस) प्रति वर्ष 10 जनवरी को मनाया जाता है। इसका उद्देश्य विश्व में हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिये जागरूकता पैदा करना तथा हिन्दी को अन्तरराष्ट्रीय भाषा के रूप में पेश करना है। विदेशों में भारत के दूतावास इस दिन को विशेष रूप से मनाते हैं। सभी सरकारी कार्यालयों में विभिन्न विषयों पर हिन्दी में व्याख्यान आयोजित किये जाते हैं। विश्व में हिन्दी का विकास करने और इसे प्रचारित-प्रसारित करने के उद्देश्य से विश्व हिन्दी सम्मेलनों की शुरुआत की गई और प्रथम विश्व हिन्दी सम्मेलन 10 जनवरी 1975 को नागपुर में आयोजित हुआ तब से ही इस दिन को 'विश्व हिन्दी दिवस' के रूप में मनाया जाता है।
विश्व हिन्दी दिवस का उद्देश्य विश्व में हिन्दी के प्रचार-प्रसार के लिये जागरूकता पैदा करना, हिन्दी को अन्तरराष्ट्रीय भाषा के रूप में पेश करना, हिन्दी के लिए वातावरण निर्मित करना, हिन्दी के प्रति अनुराग पैदा करना, हिन्दी की दशा के लिए जागरूकता पैदा करना तथा हिन्दी को विश्व भाषा के रूप में प्रस्तुत करना है।
भारत के पूर्व प्रधानमन्त्री मनमोहन सिंह ने 10 जनवरी 2006 को प्रति वर्ष विश्व हिन्दी दिवस के रूप मनाये जाने की घोषणा की थी। उसके बाद से भारतीय विदेश मंत्रालय ने विदेश में 10 जनवरी 2006 को पहली बार विश्व हिन्दी दिवस मनाया था।
हिन्दी के प्रचार-प्रसार में संलग्न प्रमुख संस्थाएँ
1. अक्षरम्
2. अखिल भारतीय अनुवाद परिषद, अहमदाबाद
3. अखिल भारतीय भाषा साहित्य सम्मेलन, भोपाल
4. अखिल भारतीय भाषा साहित्य सम्मेलन, पटना
5. अखिल भारतीय साहित्य कला मंच, मुरादाबाद
6. अखिल भारतीय साहित्य परिषद
7. अखिल भारतीय हिंदी संस्था संघ, दिल्ली
8. अखिल भारतीय हिंदी साहित्य सम्मेलन
9. अखिल भारतीय हिन्दी संस्था संघ, नई दिल्ली
10. अखिल विश्व हिन्दी समिति
11. अंग्रेजी अनिवार्यता विरोधी समिति
12. अंतर्राष्ट्रीय हिंदी समिति, सेलम, एनएच, (अमेरिका)
13. अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी समिति, वर्जिनिया (सं॰रा॰अ॰)
14. अपनी भाषा, कोलकाता
15. अरुणाचल नागरी संस्थान, ईटानगर
16. अलबर्टा हिंदी परिषद
17. असम राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, गुवाहाटी
18. आन्ध्र प्रदेश हिन्दी प्रचार, हैदराबाद
19. आरा नागरी प्रचारिणी सभा, आरा (बिहार)
20. उत्तर प्रदेश हिन्दी ग्रंथ अकादमी, लखनऊ
21. उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान, लखनऊ
22. उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान, लखनऊ
23. ओड़िशा राष्ट्रभाषा परिषद, पुरी
24. कथा यू.के.
25. कर्नाटक महिला हिन्दी सेवा समिति, बंगलुरू
26. कर्नाटक हिन्दी प्रचार समिति, बंगलुरू
27. कहानी लेखन महाविद्यालय, अंबाला
28. कादंबरी, जबलपुर
29. काशी नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी
30. केंद्रीय सचिवालय, हिंदी परिषद, नई दिल्ली
31. केन्द्रीय अनुवाद ब्यूरो, नई दिल्ली
32. केन्द्रीय सचिवालय हिन्दी परिषद, नई दिल्ली
33. केन्द्रीय हिन्दी निदेशालय, नई दिल्ली
34. केन्द्रीय हिन्दी प्रशिक्षण संस्थान, नई दिल्ली
35. केन्द्रीय हिन्दी समिति
36. केन्द्रीय हिन्दी संस्थान, आगरा
37. केरल हिन्दी प्रचार सभा, तिरूवनंतपुरम
38. केरल हिन्दी साहित्य अकादमी, तिरूवनंतपुरम
39. क्षेत्रीय कार्यान्वयन कार्यालय, राजभाषा विभाग
40. गुजरात विद्यापीठ, अहमदाबाद
41. घनश्यामदास सराफ ट्रस्ट, मुंबई
42. छत्तीसगढ़ प्रदेश हिन्दी साहित्य सम्मेलन, रायपुर
43. जैमिनी अकादमी, पानीपत
44. तमिलनाड़ हिदी अकादमी, चेन्नई
45. दक्षिण भारत हिन्दी प्रचार सभा
46. दक्षिण भारत हिन्दी प्रचार सभा, चेन्नई
47. दक्षिण भारत हिन्दी प्रचार सभा, धाड़वाड़
48. नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति, राजभाषा विभाग
49. नव उन्नयन, नई दिल्ली
50. नागरी प्रचारिणी सभा
51. नागरी लिपि परिषद्
52. नागरी लिपि परिषद्, नई दिल्ली
53. नेपाल हिन्दी साहित्य परिषद
54. पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी सृजनपीठ, बिलासपुर
55. परिकल्पना सम्मान
56. परिमल, इलाहाबाद
57. पुरुषोत्तमपुर हिन्दी प्रचार सभा, गंजाम, उड़ीसा
58. पूर्वोत्तर हिन्दी अकादमी, शिलांग
59. बंगीय हिन्दी परिषद, कोलकाता
60. बम्बई हिंदी विद्यापीठ, मुंबई
61. बिहार राष्ट्रभाषा परिषद, पटना
62. बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन, पटना
63. भारतीय अनुवाद परिषद्, नई दिल्ली
64. भारतीय ज्ञानपीठ, नई दिल्ली
65. भारतीय भाषा परिषद, कोलकाता
66. भारतीय भाषा प्रतिष्ठापन परिषद, वाशी, नवी मुंबई
67. भारतीय भाषा संस्थान, मैसूर
68. भारतीय हिन्दी परिषद, प्रयाग
69. मणिपुर हिन्दी परिषद, इंफाल
70. मध्य प्रदेश राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, भोपाल
71. मध्य प्रदेश हिन्दी साहित्य सम्मेलन, ग्वालियर
72. मध्य भारत हिन्दी साहित्य समिति, इंदौर
73. महात्मा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय, वर्धा
74. महाराष्ट्र राष्ट्रभाषा सभा, पुणे
75. मातृभाषा विकास परिषद
76. माधवराव सप्रे संग्रहालय, भोपाल
77. मानस संगम, कानपुर
78. मारिशस हिन्दी संस्थान, मारिशस
79. मुंबई प्रांतीय राष्ट्रभाषा प्रचार सभा, मुंबई
80. मुंबई हिन्दी विद्यापीठ, मुंबई
81. मैसूर हिंदी प्रचार परिषद, बंगलुरु
82. मोकामा अंचल तुलसी साहित्य परिषद्, मोकामा
83. राजभाषा आयोग
84. राजभाषा कार्यान्वयन समिति
85. राजभाषा विधायी आयोग एवं राजभाषा खंड
86. राजभाषा विभाग
87. राजभाषा संघर्ष समिति, दिल्ली
88. राजस्थान साहित्य अकादमी, उदयपुर
89. राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, वर्धा
90. राष्ट्रभाषा महासंघ, मुंबई
91. राष्ट्रभाषा विचार मंच, अम्बाला
92. राष्ट्रीय अनुवाद मिशन
93. राष्ट्रीय हिन्दी परिषद, मेरठ
94. राष्ट्रीय हिन्दी साहित्य सम्मेलन, तिरूवनंतपुरम
95. विक्रमशिला हिन्दी विद्यापीठ, भागलपुर
96. विजय वर्मा मेमोरियल ट्रस्ट, मुंबई
97. विदर्भ हिन्दी साहित्य सम्मेलन, नागपुर
98. विश्व हिन्दी परिषद
99. विश्व हिंदी न्यास समिति
100. विश्व हिन्दी सचिवालय, मारिशस
101. विश्व हिन्दी सम्मेलन
102. विश्व हिन्दी संस्थान
103. विश्वेश्वरानंद वैदिक शोध संस्थान, होश्यारपुर
104. वीरेन्द्र केशव साहित्य परिषद, टीकमगढ़
105. वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग, नई दिल्ली
106. श्री मध्यभारत हिन्दी साहित्य समिति, इन्दौर
107. श्री हिन्दी साहित्य समिति, भरतपुर
108. संसदीय राजभाषा समिति, नई दिल्ली
109. साहित्य अकादमी, नई दिल्ली
110. साहित्य अकादमी, भोपाल
111. साहित्य मण्डल, नाथद्वारा
112. सृजन सम्मान
113. सौराष्ट्र हिन्दी प्रचार समिति, राजकोट
114. स्वातितिरुनाल बालराम वर्मा
115. हिंदी परिषद, नीदरलैंड्स
116. हिंदी प्रचार सभा, हैदराबाद
117. हिंदी साहित्य सभा, टोरंटो
118. हिंदी सेवी महासंघ, इंदौर
119. हिन्दी अकादमी, दिल्ली
120. हिन्दी अकादमी, दिल्ली
121. हिन्दी परिषद, नीदरलैंड
122. हिन्दी प्रचार–प्रसार संस्थान, जयपुर
123. हिन्दी प्रचारक संघ, तमिलनाडु
124. हिन्दी प्रचारिणी सभा, मारिशस
125. हिन्दी प्रचारिणी सभा, मॉरीशस
126. हिन्दी भवन, नई दिल्ली
127. हिन्दी यूएसए
128. हिन्दी विज्ञान साहित्य परिषद, भा॰ प॰ अ॰ के॰, मुंबई
129. हिन्दी विद्यापीठ, देवघर
130. हिन्दी विद्यापीठ, देवघर
131. हिन्दी विद्यापीठ, हरिद्वार
132. हिन्दी शिक्षण योजना, राजभाषा विभाग
133. हिन्दी शिक्षा संघ दक्षिण अफ़्रीका
134. हिन्दी शिक्षा समिति, उड़ीसा, कटक
135. हिन्दी शिक्षा समिति, जहीराबाद
136. हिन्दी संगठन
137. हिन्दी संगठन, मारिशस
138. हिन्दी समाज, सिडनी
139. हिन्दी संरक्षण संघ
140. हिन्दी सलाहकार समिति
141. हिन्दी साहित्य सम्मेलन, प्रयाग
142. हिन्दी सेवा समिति
143. हिन्दी सेवी महासंघ, इंदौर
144. हिन्दी सोसाइटी, सिंगापुर
145. हिन्दुस्तानी अकादमी
146. हिन्दुस्तानी अकादमी, इलाहाबाद
147. हिन्दुस्तानी प्रचार सभा, मुंबई
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